डायबिटीज किडनी पर गहरा असर डालती है, और अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो किडनी की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी हो सकती है, जिसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहा जाता है। यह स्थिति किडनी में गंभीर नुकसान पहुंचाती है और कई बार किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत तक आ सकती है।
डायबिटीज के कारण किडनी के छोटे रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ता है, जिससे किडनी के फिल्टर सिस्टम (ग्लोमेरुली) में क्षति होती है। लंबे समय तक उच्च शुगर लेवल से किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती है। अगर यह स्थिति बढ़ जाती है, तो किडनी फेलियर हो सकता है, जिससे डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है।
इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपनी शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है, ताकि किडनी की रक्षा हो सके और किडनी फेलियर की नौबत न आए। नियमित मेडिकल चेकअप और सही इलाज से इस स्थिति को काबू में रखा जा सकता है।