बांग्लादेश हाईकोर्ट ने  ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज की,

यह बांग्लादेश में इस्कॉन ( ISKCON) के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है। उच्च न्यायालय ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को खारिज कर दिया है और कहा है कि वर्तमान में सरकार द्वारा उठाए गए कदम संतोषजनक हैं। इसलिए अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की आवश्यकता नहीं समझी।सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमां ने इस मामले में अदालत के सामने अर्जी दाखिल कर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और चटगांव व रंगपुर में आपातकाल लागू करने की मांग की थी। हालांकि अदालत ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया।यह फैसला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि बांग्लादेश में धार्मिक संगठनों और उनके अधिकारों के संरक्षण को लेकर एक सकारात्मक संकेत भी देता है।

कोर्ट में अंतरिम सरकार ने क्या कहा?

सुनवाई की शुरुआत में अटॉर्नी जनरल की ओर से डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को दी. उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस घटना पर सरकार का रुख सख्त है. इसे लेकर अब तक तीन मामले सामने आए हैं, एक में 13 लोग, एक में 14 लोग और दूसरे में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया है. अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सीसीटीवी के जरिए 6 और लोगों की पहचान की गई है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया है कि पुलिस एक्टिव है, आरोपियों से पूछताछ करने पर जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने कहा, कि न केवल चटगांव में बल्कि अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा बल इस मुद्दे पर सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रहे हैं. वहीं सुनवाई के दौरान एक जज ने कहा कि लोगों की जान को और कोई नुकसान नहीं होना चाहिए.

इस्कॉन पर बैन से हाईकोर्ट का इनकार

इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर जजों ने कहा कि, सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रही है.हम सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं औरराज्य की जिम्मेदारी पर हमें भरोसा है. इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि ‘हमारे देश में सभी धर्मों के लोग बहुत सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं, आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा. इसलिए आवेदक को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए.’

इस्कॉन के पास क्या हैं विकल्प?

हालांकि फौरी तौर पर इस्कॉन को बांग्लादेश में राहत मिल गई है, लेकिन अब भी उस पर संकट बरकरार है. दरअसल कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के कार्यकर्ता लगातार इस्कॉन के खिलाफ कार्रवाई के लिए यूनुस सरकार पर दबाव बना रहे हैं. वहीं बुधवार को अदालत में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन बताया था.

ऐसे में भले ही हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार कर दिया हो, लेकिन यूनुस सरकार द्वारा इस्कॉन के खिलाफ कार्रवाई का खतरा बना हुआ है. लिहाजा इस्कॉन इन 3 उपायों का इस्तेमाल कर बांग्लादेश में अपने खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा को नाकाम करने की लड़ाई लड़ सकता है.

⁠ICC में बांग्लादेश सरकार के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए

बांग्लादेश में चल रही क़ानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई पर पूरी ताक़त से लड़ाई लड़े.

इस्कॉन एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है, लिहाजा वैश्विक मंच पर इसे धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के तौर पर उठाया जाए.

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