चित्तौड़गढ़ के निर्दलीय विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने बुधवार को राजस्थान विधानसभा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत संविदा पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) की मांगों को लेकर आवाज उठाई। उन्होंने चिकित्सा मंत्री से आग्रह किया कि CHO को स्थायी किया जाए या फिर अन्य राज्यों की तर्ज पर उनका वेतन बढ़ाया जाए।
CHO की समस्याओं पर विधायक की चिंता
विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे उनके काम पर भी असर पड़ रहा है। यदि सरकार उन्हें स्थायी नहीं कर सकती, तो बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड की तरह उन्हें निश्चित मानदेय दिया जाना चाहिए।
वेतन में संशोधन की मांग
उन्होंने सुझाव दिया कि CHO को वर्तमान में ₹25,000 का फिक्स मानदेय और ₹15,000 का इंसेंटिव दिया जाता है। लेकिन इंसेंटिव राशि के वितरण में भ्रष्टाचार और शोषण की शिकायतें मिलती हैं। इसलिए इसे फिक्स सैलरी में जोड़कर कुल वेतन ₹40,000 प्रति माह किया जाए।
सरकार पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त भार
विधायक ने कहा कि यदि CHO का वेतन तय कर दिया जाए, तो इससे न केवल भ्रष्टाचार कम होगा, बल्कि उनका शोषण भी रुकेगा। साथ ही, इससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा।
धरना-प्रदर्शन के बावजूद समाधान नहीं
उन्होंने विधानसभा में यह भी कहा कि CHO कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं और ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। विधायक ने चिकित्सा मंत्री से अपील की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को न्याय दिलाएं।
निष्कर्ष
विधायक आक्या द्वारा विधानसभा में उठाया गया यह मुद्दा स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने और CHO के हितों की रक्षा के लिए अहम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है।