अलवर। अलवर और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण ग्रेप-4 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) की सख्त पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। इसके तहत सभी निर्माण कार्य बंद कर दिए गए हैं, और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को नोटिस देकर बंद कराया जा रहा है। बावजूद इसके, अलवर के निकट जयंती फैक्ट्री पर प्रशासन और प्रदूषण विभाग की नरमी सवाल खड़े कर रही है।इस फैक्ट्री से निकलने वाले काले धुएं और केमिकलयुक्त पानी ने क्षेत्र के पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। फैक्ट्री के पास की कृषि भूमि बंजर हो गई है, और ग्रामीणों के घरों पर काले धुएं की परत जम चुकी है। बावजूद इसके, जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग इस फैक्ट्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ग्रेप-4 की पाबंदियां क्या हैं?
एनसीआर में खतरनाक स्तर तक पहुंचे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रेप-4 की पाबंदियां लागू की गई हैं। इसमें निम्नलिखित प्रतिबंध शामिल हैं:भवन और सड़क निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध।बोरिंग और भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक (आवश्यक सेवाओं को छोड़कर)।प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बंद करना।वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव।
ग्रामीणों की आपत्ति
ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं और केमिकलयुक्त पानी उनके जीवन को दूभर बना रहा है। उनके घरों पर कालिख जम चुकी है, और सांस लेने में परेशानी हो रही है। खेती की जमीनें बंजर हो रही हैं, और पीने का पानी भी दूषित हो चुका है।ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन और सरकार के आला अधिकारियों को इस समस्या की जानकारी दी, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है और फैक्ट्री के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है।
प्रशासन पर सवाल
ग्रेप-4 की पाबंदियों के तहत अन्य उद्योगों और निर्माण कार्यों पर सख्ती दिखाई जा रही है, लेकिन जयंती फैक्ट्री पर नरमी क्यों बरती जा रही है, यह सवाल उठ रहा है। फैक्ट्री से हो रहे प्रदूषण पर अब तक कोई कार्रवाई न होना प्रशासन और प्रदूषण विभाग की भूमिका पर संदेह पैदा करता है।