अलवर जिले के सरिस्का बाघ परियोजना युवा बाघ ST-2402, जो अपनी नई टेरिटरी की खोज में सरिस्का के जंगल से बाहर निकल गया था, उसे सरिस्का प्रशासन की टीम ने सफलतापूर्वक ट्रैंकुलाइज कर करण का बास एंक्लोजर में छोड़ा था। नई दिल्ली से आई एस.ओ.पी. टीम द्वारा बाघ के सामान्य व्यवहार की पुष्टि के बाद, उसे एंक्लोजर से सॉफ्ट रिलीज किया गया है। रिलीज के बाद, बाघ ने स्वाभाविक रूप से जंगल की ओर प्रस्थान किया। बाघ की गतिविधियों की निगरानी के लिए सरिस्का विभाग ने दो विशेष टीमें गठित की हैं, जो उसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं।

बाघ ST-2402 के जंगल से बाहर निकलने के बाद, वह दौसा जिले के बांदीकुई क्षेत्र के गांवों में देखा गया था, जहां उसने तीन ग्रामीणों पर हमला भी किया। वन विभाग की टीम ने कई दिनों की मशक्कत के बाद, उसे अलवर जिले के रैणी क्षेत्र के चिल्की बास गांव में एक मकान की रसोई से ट्रैंकुलाइज किया। इसके बाद, बाघ को सरिस्का के करण का बास एंक्लोजर में रखा गया, जहां उसकी स्थिति सामान्य पाए जाने पर सॉफ्ट रिलीज किया गया।
बाघ ST-2402 की यह घटना वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है, साथ ही यह दर्शाती है कि बढ़ती बाघ जनसंख्या के साथ उनके लिए पर्याप्त टेरिटरी और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, वन विभाग की टीम ने बाघ की सुरक्षा और उसके प्राकृतिक आवास में वापसी के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं। बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और मानव-बाघ संघर्ष की घटनाओं को रोका जा सके।बाघ ST-2402 की सफल सॉफ्ट रिलीज और उसकी निगरानी के लिए उठाए गए कदम सरिस्का बाघ परियोजना के संरक्षण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे।