बागपत। बरवाला गांव में स्वच्छता अभियान व अन्य कार्यों को कराने के नाम पर निलंबित सचिव ने लाखों रुपये का घपला किया। इसके अलावा प्रधान पर कागज लेकर जाने व कार्यों को दबाने का आरोप लगा है।
यह सब कुछ डीडीओ की जांच में सामने आया है। बरवाला गांव में स्वच्छता अभियान के 32 लाख व अन्य विकास कार्यों में 40 लाख से अधिक का घपला करने का आरोप लगा था। इसकी जांच डीडीओ हरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गठित टीम ने की थी। जांच टीम में डीडीओ के अलावा नलकूप के अधिशासी अभियंता, बड़ौत बीडीओ व डीआरडीए के सहायक अभियंता को शामिल किया गया था। टीम को जांच में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों में निलंबित पंचायत सचिव लोकेंद्र राठी को कार्य स्वीकृत कराए बिना ही भुगतान करने के नाम पर लाखों का घपला करने का दोषी माना गया और प्रधान ने भी अपने डोंगल से भुगतान कर दिया।
वित्तीय अनियमितता में निलंबित सचिव लोकेंद्र राठी को दोषी माना गया है तो प्रधान भी दोषी माना गया है। वहीं अवर अभियंता गुलफाम अली को माप पुस्तिका की उच्च अधिकारी से स्वीकृति नहीं कराने का दोषी माना गया।अधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन व चार्ज तक नहीं दिया
जांच में निलंबित सचिव लोकेंद्र राठी को अधिकारियों के आदेशों का बार-बार उल्लंघन करने, जांच में सहयोग न करने, पंचायत के सभी अभिलेख न देने, चार्ज न देने, कार्यों के प्रति लापरवाही बरतने का भी दोषी माना गया। वहीं प्रधान के द्वारा मनमाने ढंग से अभिलेखों को अपने पास रखने, सचिव को वापस न करने व अवर अभियंता गुलफाम अली को माप पुस्तिका न देने का दोषी माना गया। डीडीओ ने जांच रिपोर्ट देकर डीपीआरओ को तीनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।आखिर किसकी है कृष्णा नाम से फर्म, उसको ही भेजा गया रुपया इस पूरे मामले में यह सामने आया है कि बरवाला गांव में
अधिकतर कार्य बिना कागजों के कराए गए और वहां से अधिकतर पैसा कृष्णा नाम की फर्म को भेजा गया। वह फर्म किसकी है और आखिर कागज पूरे नहीं होने पर भी उसने कार्य कैसे कर दिया। इस फर्म की जांच की जाए तो उससे भी काफी कुछ सामने आ सकता है।
– बरवाला की जांच रिपोर्ट मिली है। उसके सभी बिंदुओं को पढ़ने के बाद नोटिस जारी किया जाएगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। अरुण अत्री, डीपीआरओ