स्कैम: टैक्स बचाने को दिव्यांगों के नाम बेच दीं लग्जरी कार, दिव्यांगों की कार स्वस्थ लोगों को बेची

दिव्यांगों के नाम पर शहर में डीलरों ने खेल कर दिया। टैक्स बचाने के चक्कर में दिव्यांगों के नाम पर लग्जरी कार स्वस्थ लोगों को बेच दी। लग्जरी कारों के टैक्स नाम किसी और दिव्यांग कोटे में भरे जाने पर जब जांच हुई तो इसका खुलासा हुआ।

संभागीय परिवहन विभाग में ऐसे कई मामले पकड़ में आए हैं। जिन्हें नोटिस भी दिया गया है। जांच चल रही है। गाड़ियों को सीज भी किया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार दिव्यांगों के नाम पर फार्म 22 और 21 में डीलरों ने सिर्फ टैक्स बचाने के चक्कर में खेल खेला है। उसकी एवज में उन्हें वाहन स्वामियों जिन्होंने गाड़ियां खरीदी हैं। अतिरिक्त शुल्क भी देने की बात उजागर हुई है। बता दें कि दिव्यांगों को वाहन खरीदी करने पर 10 फीसदी तक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) छूट मिलती है। उन्हें मात्र 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ती है। यह दिव्यांगों के लिए विशेष तरह की निजी और कामर्शियल वाहन खरीदी करते समय सुविधा का प्रावधान है।

इसकी जानकारी नहीं होने के कारण पिछले तीन वर्ष से वे वाहन की पूरी कीमत अदा कर रहे थे। इसकी शिकायत मिलने के बाद परिवहन विभाग ने सभी आटोमोबाइल्स डीलरों को केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश की प्रति भेजा है, ताकि वाहन की खरीदी करने पर उन्हें नियमानुसार छूट की राशि मिल सके। वहीं छूट नहीं देने पर इसकी शिकायत वह जीएसटी और परिवहन विभाग से कर सकते हैं। इसके लिए फार्म 22 होता है। जिसमें मैन्युफैक्चरल कंपनी दिव्यांगों को देती है। 21 नंबर फार्म डीलर अडॉप्टेड के तौर पर देता है। लेकिन डीलरों ने सांठ-गांठ कर 22 नंबर फार्म की औपचारिकता पूरी कर दी। जब टैक्स वसूली का मामला आया तो जांच हुई। जिसमें वाहन स्वामी दिव्यांग नहीं पाए गये। इसमें 9 लग्जरी गाड़ियां हैं। जिन्हें नोटिस भेजा गया है।

एआरटीओ प्रशासन, नानक चंद शर्मा ने कहा कि दिव्यांगों के नियमों के विपरीत डीलरों ने हेरा-फेरी करके वाहनों को बेचा है। ऐसे नौ वाहनों को नोटिस दिया गया है। साथ ही जांच भी चल रही है। यदि जांच में फार्म नं 22 और 21 से संबंधित नियम विपरीत मिले। तो संबंधित वाहनों को सीज कर दिया जाएगा। इसके साथ ही विधिक कार्यवाही होगी।

देना होगा प्रमाण पत्र

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अस्थि रोगों से जुड़ी 40 फीसदी और उससे अधिक की विकलांगों को जीएसटी की छूट मिलेती है। इसके लिए शासन से मान्यता प्राप्त संस्थान से विकलांगता प्रमाण पत्र अनिवार्यता प्राप्त करना होता है। इसके साथ ही एक शपथ पत्र भी देना होगा कि वाहन विशेष का इस्तेमाल दिव्यांगों के लिए होगा और खरीदी के बाद आगामी पांच वर्ष तक उसका विक्रय नहीं करेगा। पांच वर्ष बाद दोबारा वाहन खरीदी करने पर फिर छूट मिलेगी। नियमानुसार वाहन की बेस प्राइस आठ लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।

ये था नियम

अधिकारियों ने बताया कि आटोमोबाइल डीलरों को जीएसटी में किए गए नियमों का प्रपत्र मिलने पर वह नियमानुसार विकलांगों को छूट देंगे। साथ ही उनसे लिए जाने वाले टैक्स की जानकारी जीएसटी विभाग को भेजा जाएगा, जिससे क्रेता के साथ ही विक्रेता को इसका लाभ मिलेगा। वहीं जीएसटी जमा करते समय

किसी भी तरह के विवाद की स्थिति नहीं होगी।

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