महाराष्ट्र चुनाव: हिना गावित ने निर्दलीय उम्मीदवारी बरकरार रखी, महायुति को मिली नई चुनौती

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बागियों की गतिविधियाँ निश्चित रूप से प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रही हैं। हिना गावित का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा होना महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के लिए सिरदर्द बन सकता है।हिना गावित का इस्तीफा और निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय इस बात का संकेत है कि वे पार्टी में अपने विचारों और असंतोष को लेकर कितनी गंभीर हैं। इससे न केवल उनकी पार्टी की छवि पर असर पड़ेगा, बल्कि इससे मतदाताओं के बीच एक अलग संदेश भी जाएगा।इस चुनाव में बागियों की मौजूदगी ने सभी दलों के लिए अपने उम्मीदवारों को बेहतर तरीके से प्रचारित करने की चुनौती बढ़ा दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस स्थिति का असर चुनाव परिणामों पर कैसे पड़ता है, खासकर अक्कलकुवा निर्वाचन क्षेत्र में।

शिवसेना गुट पर लगाया बीजेपी के खिलाफ काम करने का आरोप

गावित ने यह भी कहा है कि शिवसेना शिंदे गुट लगातार बीजेपी के खिलाफ काम कर रहा है, इसलिए हमने उनके खिलाफ लड़ने का फैसला किया है. गावित की उम्मीदवारी के कारण, इस निर्वाचन क्षेत्र में हाई वोल्टेज मुकाबला देखने को मिल सकता है.हिना गावित 2014 के आम चुनाव में महाराष्ट्र की नंदुरबार सीट से मैदान में उतरी थीं और जीत भी हासिल की थी. इसके बाद 2019 में पार्टी ने उन्हें फिर से मौका दिया था जिसपर वो खरी उतरी थीं. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में हिना गावित को हार का सामना करना पड़ा.

एकनाथ शिंदे गुट के हिस्से में आई है यह सीट

इस चुनाव हार के बाद हिना गावित विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जोर आजमाइस कर रहीं थी, लेकिन मौका नहीं मिला. महायुति के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में यह सीट एकनाथ शिंदे की शिवसेना के हिस्से गई. शिवसेना ने इस सीट से आमश्या फुजली पाडवी को टिकट दिया है जबकि महाविकास अघाड़ी की ओर से कांग्रेस ने सी पाडवी को मैदान में उतार है जो कि एडवोकेट भी हैं.

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