“ईरान ने लेबनान में संघर्ष खत्म करने की वकालत की”

ईरान का लेबनान में जारी संघर्ष को समाप्त करने की इच्छा और अली लारीजानी की हालिया यात्रा इस क्षेत्र में ईरान की रणनीति और उसकी प्राथमिकताओं का एक महत्वपूर्ण संकेत है। लेबनान में इजराइल द्वारा किए जा रहे हमलों ने ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिससे ईरान को क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

अमेरिका ने रखा लेबनान में युद्धविराम का प्रस्ताव

दो वरिष्ठ लेबनानी राजनीतिक स्रोतों ने रॉयटर्स को बताया कि लेबनान में अमेरिकी राजदूत ने पिछले दिन लेबनान के संसद अध्यक्ष नबीह बेरी के सामने युद्ध विराम प्रस्ताव का मसौदा पेश किया था. बेरी को हिजबुल्लाह ने बातचीत करने के लिए समर्थन दिया है. लारीजानी ने इजराइल के पीएम का जिक्र करते हुए कहा हम सभी परिस्थितियों में लेबनानी सरकार का समर्थन करते हैं और जो शांति में रुकावट हैं, वे नेतन्याहू के लोग हैं.जानकारों का मानना है कोई भी प्रस्ताव हिजबुल्लाह ईरान की अनुमति के बिना नहीं मानेगा. हिजबुल्लाह शुरू से कहता आया है कि गाजा सीजफायर तक वे अपने हमले जारी रखेगा. इजराइल की आक्रमकता बढ़ने के बाद हिजबुल्लाह के इस रुख में कमी देखी जा रही है.

विश्व शक्तियों का क्या कहना है?

इजराइल हिजबुल्लाह सीजफायर पर विश्व शक्तियों का कहना है कि लेबनान में युद्ध विराम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 पर आधारित होना चाहिए, जिसने हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच 2006 के पिछले युद्ध को खत्म कर दिया था. इसकी शर्तों के मुताबिक हिजबुल्लाह को लिटानी नदी के उत्तर में हथियार और लड़ाके ले जाने होंगे, जो सीमा से लगभग 20 किमी (30 मील) उत्तर में बहती है.

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