कहां तक है यमुना डूब क्षेत्र? एनजीटी के जज परखेंगे सच्चाई; इस तारीख को आ रहे हैं आगरा

अगरा में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मुख्य बेंच के जज डॉ. अफरोज अहमद यमुना डूब क्षेत्र की सच्चाई जानने के लिए दो दिन के दौरे पर 26 मार्च को आगरा आ रहे हैं। पहले दिन सर्किट हाउस में मंडलायुक्त, डीएम सहित 10 विभागों के अधिकारियों से प्रगति जानेंगे।

दूसरे दिन यमुना डूब क्षेत्र का निरीक्षण करने जाएंगे।

यमुना डूब क्षेत्र का मामला 2016 से एनजीटी में चल रहा है। 2019 में एनजीटी ने दयालबाग में डूब क्षेत्र में खड़े अपार्टमेंट ध्वस्त कराए थे। फिर भी अवैध निर्माण नहीं रुके। एडीए की लापरवाही यहां भी सामने आई। ताज संरक्षित वन क्षेत्र के मामले में पिछले साल एनजीटी ने डीएम को डूब क्षेत्र निर्धारण के निर्देश दिए थे। जिसके बाद प्रशासन ने डूब क्षेत्र की मुड्डियां गढ़वाईं।

पोइया घाट पर राधा स्वामी सत्संग सभा ने डूब क्षेत्र में निर्माण कराया था। जिसे लेकर भी कार्रवाई शून्य रही। ऐसे में एनजीटी मुख्य बेंच के सदस्य न्यायमूर्ति डॉ. अफरोज अहमद इन क्षेत्रों का मुआयना करने जाएंगे। जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि सर्किट हाउस में 26 मार्च को सभी विभागों की बैठक होगी। जिसमें सिंचाई, वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण, एडीए आदि विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे।तलहटी तक खड़े अवैध निर्माण

यमुना किनारा पर जोंस मिल के पीछे कृष्णा कॉलोनी में नदी की तलहटी तक अवैध निर्माण खड़े हो गए हैं। बल्केश्वर, रजवाड़ा, लोहिया नगर, राधा नगर, अनुराग नगर, खासपुर, पोइया घाट, लाल गढ़ी, नगला तल्फी, बाईंपुर तक अवैध कॉलोनियां बस गई हैं। तलहटी तक अवैध निर्माणों के कारण नदी का जलग्रही क्षेत्र (केचमेंट) प्रभावित हो चुका है। इन निर्माणों के लिए सिंचाई विभाग व एडीए जिम्मेदार हैं।

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