क्या दवाओं के बिना भी हो सकता है पार्किंसंस मैनेज, एक्सपर्ट से जानें Parkinson’s के ट्रीटमेंट के अन्य तरीके

जैसे-जैसे पार्किंसंस की बीमारी पुरानी होने लगती है मरीज के लिए ठीक तरीके से चल पाना, ठीक तरीके से उठ-बैठ पाना भी मुश्किल हो जाता है।Lifestyle modifications for better management of Parkinson’s: पार्किंसंस की बीमारी बड़े-बुजुर्गों में देखी जाती है।

यह ब्रेन से जुड़ी हुई एक बीमारी है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को काबू में नहीं रख पाता। पीड़ित व्यक्ति के हाथ-पैर लगातार हिलते रहते हैं। इसी वजह से लोगों के लिए गिलास पकड़ने जैसे छोटे-मोटे काम भी मुश्किल हो जाते हैं। जैसे-जैसे पार्किंसंस की बीमारी पुरानी होने लगती है मरीज के लिए ठीक तरीके से चल पाना, ठीक तरीके से उठ-बैठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। पार्किंसन्स की बीमारी आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र के बाद होती है। वहीं, आंकड़ों के अनुसार, लगभग 5-10% लोगों में 50 साल से कम उम्र में ही पार्किसंस के लक्षण (parkinson’s symptoms) दिखायी दे सकते हैं।

पार्किंसन्स की बीमारी के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Parkinson’s diseases in hindi)

हाथ-पैर, आर्म्स और सिर का लगातार हिलना या कांपना

जबड़ा बंद न रहना और लगातार सिर हिलना

मसल्स में अकड़न

चलना-फिरना, कोई सामान उठाने जैसे काम कर पाने में दिक्कत

शरीर का संतुलन बिगड़ जाना

डिप्रेशन और मेंटल प्रेशर

बोल पाने में मुश्किल

डाइजेशन खराब होने और कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्याएं

स्किन डिजिजेज

पार्किंसंस के मरीज की देखभाल कैसे की जाती हैडॉ. विनित बंगा (Dr.Vinit Banga, Associate Director -Neurology & Head Neurointervention, BLK Max Super Speciality Hospital.) कहते हैं कि, पार्किसंस की बीमारी को आसानी से मैनेज करने (effectively manage Parkinson’s disease) और दवाओं का कम से कम सेवन करने के लिए आपकी लाइफस्टाइल से जुड़े बदलाव सबसे महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। डॉ. बंगा इन लाइफस्टाइल टिप्स देते हैं-

पार्किसंस डिजिज में मरीजों को एयरोबिक्स (aerobic activities) और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (strength training) जैसी हल्की-फुल्की एक्सरसाइजेस कराएं। इसे उन्हें चलने-फिलने और शारीरिक संतुलन बनाने में मदद होगी।

पोषक तत्वों से भरपूर और बैलेंस्ड डाइट भी पार्किसंस के मरीजों को लक्षणों से आराम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एंटीऑक्सीडेंट्स (antioxidants), ओमेगा-3 फैटी एसिड्स ( omega-3 fatty acids) से भरपूर डाइट मरीजों को दें। उन्हें साबुत अनाज (whole grains) और फल-सब्जियां खिलाएं। इससे ब्रेन हेल्थ में सुधार होगा और बीमारी के लक्षणों से आराम मिलेगा।तनाव कम करने के लिएध्यान (Meditation) और प्राणायाम (Dee breathing exercises) का अभ्यास कराएं।

लोगों से मिलने-जुलने, बात करने और कॉग्निटिव एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए पार्किसंस मरीजों को प्रोत्साहित करें।

लाइफस्टाइल से जुड़े इन बदलावों की मदद से पार्किंसंस के लक्षणों को मैनेज करने में ना केवल मदद होती है बल्कि, मरीज की लाइफ क्वालिटी और उनकी ओवरऑल हेल्थ में भी सुधार होता है। इस तरह उनके लिए अपने इलाज और देखभाल से जुड़े कामों में सक्रियता से भाग लेना में भी मदद हो सकती है।

संगीत और डांस पार्किसंस मरीजों के लिए फायदेमंद

डॉ. विनित बंगा कहते हैं कि संगीत और डांस पार्किसंस की बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए थेरेपी के तौर पर बहुत कारगर साबित हो सकते हैं। संगीत और डांस करने से हेल्थ पर कई प्रकार से पॉजिटिव असर दिखायी देते हैं। संगीत सुनने से मोटर कॉर्डिनेशन (motor coordination), स्पीच ( speech) और भावनात्मक स्वास्थ ( emotional well-being) में सुधार होता है।

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