ब्राजील ने बीआरआई में शामिल होने से किया इनकार, चीन को बड़ा झटका

ब्राजील का चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) में शामिल होने से इनकार करना निश्चित रूप से चीन के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। यह निर्णय न केवल ब्राजील-चीन संबंधों पर प्रभाव डालेगा, बल्कि यह बीआरआई की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को भी चुनौती देगा।ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के विशेष सलाहकार सेल्सो एमोरिम के अनुसार, ब्राजील चीन के साथ सहयोग के नए तरीके तलाशेगा, जो कि बिना किसी औपचारिक अनुबंध के होगा। यह संकेत देता है कि ब्राजील अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को प्राथमिकता दे रहा है, जो कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण हो सकता है।चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ब्राजील दौरा भी इस स्थिति को और दिलचस्प बना देता है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान चीन ने ब्राजील के साथ कुछ महत्वपूर्ण साझेदारियों की उम्मीद की थी। अब, ब्राजील के इस कदम से चीन की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, और अन्य देश भी इस उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं।

ब्राजील में बीआरआई प्रोजेक्ट का हो रहा था विरोध
गौरतलब है कि ब्राजील में ही बीआरआई प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाजें उठ रहीं थी। ब्राजील की अर्थव्यवस्था और विदेश मामलों के कई अधिकारियों ने चीन के अरबों डॉलर के बीआरआई प्रोजेक्ट में ब्राजील के शामिल होने का विरोध किया था। अधिकारियों का कहना था कि चीन के इस बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट में शामिल होने से ब्राजील को अल्पअवधि में कोई फायदा नहीं होगा और साथ ही इसके चलते ब्राजील के अमेरिका से भी संबंध खराब हो सकते हैं। बीते दिनों ब्राजीली राष्ट्रपति के विशेष सलाहकार एमोरिम और राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ रुई कोस्टा बीजिंग दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने चीनी अधिकारियों के साथ बीआरआई प्रोजेक्ट पर चर्चा की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों इस प्रोजेक्ट से असंतुष्ट और अप्रभावित होकर लौटे थे।

BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने से इनकार करने वाला ब्राजील भारत के बाद दूसरा ब्रिक्स सदस्य देश
ब्रिक्स संगठन के सदस्य देश ब्राजील से पहले भारत भी चीन के इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से मना कर चुका है। भारत पहला देश था जिसने इस पर आपत्ति जताई थी और बीआरआई का खुलकर विरोध किया था। बीआरआई प्रोजेक्ट के तहत ही चीन चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रहा है, जिस पर भारत ने संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया है। पाकिस्तान द्वारा अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है, यही वजह है कि भारत ने चीन के इस प्रोजेक्ट की खुलकर आलोचना की थी।  अमेरिका ने भी ब्राजील से बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल होने के अपने फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी। जिस पर अमेरिका ने नाराजगी भी जाहिर की थी। चीन ने आरोप लगाया था कि अमेरिका ब्राजील और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों को चीन के खिलाफ भड़काने का प्रयास कर रहा है। ब्राजील से पहले फिलीपींस और इटली ने भी बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। अब अफ्रीका के छोटे-छोटे देश ही चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा रह गए हैं।

क्या है चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव योजना और क्यों है ये विवादों के घेरे में
चीन ने साल 2013 में वैश्विक कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव) योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी देशों, अफ्रीका और यूरोप से समुद्री और स्थल मार्गों से जोड़ना है। इसके तहत चीन विभिन्न देशों में बुनियादी ढांचे का विकास करने में मदद कर रहा है और रेलवे, बंदरगाह, राजमार्ग और ऊर्जा बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रहा है। इस प्रोजेक्ट से चीन की आर्थिक ताकत कई गुना बढ़ने का अनुमान है।हालांकि चीन की यह योजना सवालों के घेरे में है। दरअसल आलोचकों का कहना है कि चीन इस योजना के सहारे कई छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है। जब ये देश कर्ज चुकाने में असमर्थ रहते हैं तो चीन उन देशों के रणनीतिक रूप से अहम संपत्तियों पर कब्जा कर लेता है या फिर उन देशों से राजनीतिक रियायतों की मांग करता है। भारत ने चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, कानून के शासन और वित्तीय स्थिरता का सम्मान करना चाहिए।

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