इजरायल और हमास महीनों के गहन कूटनीतिक प्रयासों के बाद युद्धविराम और बंधक समझौते पर पहुंच गए हैं. अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुए इस समझौते से गाजा में जारी हिंसा रुकेगी, फिलिस्तीनी नागरिकों को महत्वपूर्ण मानवीय सहायता मिलेगी और 15 महीने से अधिक समय से बंधक बनाए गए बंधकों को वापस अपने परिवार के पास लौटने का मौका मिलेगा. हालांकि, इस बीच AFP की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमास एक बार फिर कुछ शर्तों को मानने से मना कर रहा है. रिपोर्ट में इजरायल के हवाले से दावा किया गया है कि हमास समझौते के कुछ हिस्सों से मुकर रहा है. इस पर इजरायली कैबिनेट ने कहा कि वो समझौते को तब तक मंज़ूरी नहीं देगी, जब तक मध्यस्थता कराने वाले देश यह नहीं बताते कि हमास ने डील को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है.
इससे पहले कई दौरे की बातचीत के बाद युद्धविराम समझौता पर मुहर लगी, जिसमें अमेरिका, मिस्र और कतर ने मध्यस्थता का काम किया. ये बातचीत कतर की राजधानी दोहा में हुई. समझौते के तहत कुछ महत्वपूर्ण नियम तय किए गए हैं, जिन्हें जल्द ही काहिरा में सार्वजनिक किया जाएगा.
युद्धविराम की प्रमुख बातें
युद्धविराम डील के तहत कई जरूरी बातों को शामिल किया गया है. जो इस प्रकार है.
बंधकों की रिहाई: हमास 34 बंधकों को 42 दिनों में रिहा करेगा, जिसमें महिलाएं और बच्चे प्राथमिकता में होंगे. इसके बदले में इजरायल 1,000 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा.
गाजा में वापसी: इजरायल उत्तरी गाज़ा में लोगों को वापसी की अनुमति देगा और चरणबद्ध तरीके से अपने सैनिकों को गाजा पट्टी से वापस बुलाएगा.
तीन चरणों में समझौता
पहले चरण में बंधकों की रिहाई और इजरायल के सैनिकों की वापसी.
दूसरे चरण में हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा और इजरायल पूरी तरह से गाजा से सैनिकों को हटा लेगा.
तीसरे चरण में गाजा पट्टी में पुनर्निर्माण परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
मध्यस्थ देशों की भूमिका
यह समझौता अमेरिका, कतर और मिस्र की मध्यस्थता से संभव हो पाया. इन देशों की जिम्मेदारी होगी कि वे इस सीजफायर डील को लागू कराएं और सुनिश्चित करें कि दोनों पक्ष समझौते के अनुसार कदम उठाएं.